संस्मरण

रेखाचित्र में जहाँ चित्र का विशेष महत्त्व है, वहाँ संस्मरण में स्मृति का. यदि चिंतन की गंभीर शब्दावली में कहा जाए तो रेखाचित्र में देश या स्थान का महत्त्व होता है और संस्मरण काल या समय का. चित्र स्थान घेरता है और स्मृति समय. रेखाचित्र में स्मृति और संस्मरण में चित्र की भूमिका हो सकती है लेकिन ये निर्णायक प्रभाव नहीं पैदा करते. रेखाचित्र में स्मृति चित्र उभारने में सहायता करती है और संस्मरण में चित्र स्मृति को उभारने में योग देता है. संस्मरण में अतीत अनिवार्य है, रेखाचित्र में वर्तमान अनिवार्य तो नहीं किन्तु मुख्य है. संस्मरण लेखक के निजी संबंधों और अनुभवों पर आधारित होते हैं, लेकिन रेखाचित्र में यह निजता अनिवार्य नहीं है. उदाहरण के लिए एक रिक्शा खींचने वाला गरीब किन्तु अपरिचित आदमी को देखकर रेखाचित्र लिखा जा सकता है, लेकिन संस्मरण तब तक नहीं लिखा जा सकता जब तक उस व्यक्ति के साथ हमारे निजी या वैयक्तिक संबंध न बन गए हों. रेखाचित्र में जिस प्रकार रूप या दृश्य के मार्मिक पहलुओं या अंगों को रेखांकित किया जाता है उसी प्रकार संस्मरण में व्यक्ति या धटना के मार्मिक बिन्दुओं का स्मरण होता है. बनारसी दास चतुर्वेदी, श्री राम शर्मा, रामवृक्ष बेनीपुरी और श्रीमति महादेवी वर्मा प्रमुख संस्मरण लेखक हैं.

2 comments

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद May 11, 2011 at 10:48 AM

संस्मरण और रेखाचित्र के अंतर को रेखांकित करने के लिए आभार। संस्मरण भोगा हुआ अतीत है जब कि रेडाचित्र देखा हुआ यथार्थ:)

sujatha

संस्मरण और रॆखाचित्र कॆ अंतर कॊ समझानॆवाला यह लॆख उपयॊगी हैं ।