पत्र

आधुनिक युग में पत्र का महत्त्व बढ़ गया है. पत्रों से न केवल एक-दूसरे का कुशल-क्षेम मिल जाता है, बल्कि महत्त्वपूर्ण विचार-विमर्श भी होता है. पत्र में मैत्रीपूर्ण भावना निहित होती है. सरलता, संक्षिप्तता और सादगी को पत्र की शैली का गुण माना जाता है.
पत्र यद्यपि निजी होता है, किसी एक व्यक्ति को संबोधित होता है लेकिन उसमें सार्वजनिकता भी हो सकती है. उसे सब पढ़ सकते हैं. ऐसे पत्र जो निजी होकर भी सार्वजनिक रूचि के योग्य या उन्हें प्रेरित करने वाले होते हैं, साहित्यिक सम्पत्ति बन जाते हैं. उदाहरण के लिए जवाहरलाल नेहरू के पत्र, जो इंदिरा गांधी के नाम लिखे गये थे, साहित्यिक निधि के रूप में स्वीकार किए जाते हैं. ये पत्र पिता के पत्र पुत्री के नाम से प्रकाशित हैं. बनारसी दास चतुर्वेदी ने पद्मसिंह शर्मा के पत्र नाम से पद्मसिंह शर्मा के पत्रों का संपादन किया है. हरिवंशराय बच्चन ने सुमित्रानंदन पंत के पत्रों का एक संकलन प्रकाशित कराया है. महावीर प्रसाद द्विवेदी के पत्र द्विवेदी पत्रावली में संकलित है.

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